गृह, स्वास्थ्य एवं तकनीकी मंत्री अनिल विज ने कहा कि जीवन को सुगम एवं सरल बनाने के लिए साईंस का प्रयोग करना चाहिए। साईंस का प्रयोग करके व्यक्ति जीवन में आगे बढक़र अपने जीवन का लक्ष्य प्राप्त कर सकता है। यह अभिव्यक्ति गृहमंत्री ने शनिवार को अम्बाला कॉलेज ऑफ इंजिनियरिंग अप्लाईड रिसर्च में आयोजित दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि अपने सम्बोधन में कही।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मां सरस्वती के समक्ष फूल अर्पित कर व दीपशिखा प्रज्वलित करके किया गया। इस मौके पर तकनीकी मंत्री ने लगभग 125 विद्यार्थियों को बैचलर ऑफ मैकेनिकल, बैचलर ऑफ बायोटैक्नोलोजी, कम्पयूटर साईंस व इलैक्ट्रोनिक्स की डिग्रीयां वितरित की।
तकनीकी मंत्री अनिल विज ने इस मौके पर उपस्थित सभी विद्यार्थियों को डिग्री मिलने की बधाई देते हुए कहा कि यह वह समय होता है जब विद्यार्थी तय कर लेता है कि उसे जीवन में कौनसा रास्ता चुनना है। उसकी भटकन खत्म हो जाती है। उन्होंने विद्यार्थियों द्वारा साईंस टैक्नोलोजी क्षेत्र का रास्ता अपनाने के लिए उन्हें बधाई दी और कहा कि किसी भी देश को इसलिए बड़ा नहीं माना जाता कि उसका क्षेत्रफल या जनसंख्या ज्यादा है बल्कि इसलिए उस देश को बड़ा माना जाता है कि वह साईंस टैक्नोलोजी के क्षेत्र में आगे है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने जापान व इजराईल जैसे छोटे-छोटे देशों का उदाहरण देते हुए कहा कि यह देश साईंस क्षेत्र में बहुत तरक्की व उन्नति कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पहले से ही साईंस की विशेषता है। शास्त्रों व साईंस के माध्यम से तारों की गणना पहले से ही हो गई थी। भगवान वाल्मीकि ने रामायण लिखी है और उन्होंने रामजी के जन्म पर उन पर कौनसा नक्षत्र था, इस बात को भी लिखा है, यानि शास्त्रों के माध्यम से ग्रहों की गणना बारे हम जानते थे। ठीक उसी प्रकार साईंस के माध्यम से भी हमें महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। दूनिया ने बहुत देर बाद माना था कि धरती गोल है लेकिन साईंस के माध्यम से हमें पहले ही पता चल गया था कि धरती गोल है और वह अपनी दूरी के इर्द-गिर्द घुमती है।
सभ्यताओं का निर्माण भी दूसरें देशों से पहले हमें मिला है, जब लोग दूसरे देशों में घूम रहे थे तो मोहन जोदड़ो मेें हड़प्पा संस्कृति के बारे में बताया था। हरियाणा में राखी गढ़ी में काफी वर्षों पुरानी सभ्यता बारे प्रमाण मिले हैं। वहां पर किस प्रकार की गलियां, नालियां व भवन हैं, वह सब दर्शाया गया है। इसलिए हमारा देश नम्बर वन कहलाता है। उन्होंने यह भी कहा कि हमें गुलाम बनाकर रखा गया, काफी लड़ाईयां लडऩी पड़ी।
साईंस क्षेत्र में जितना हमें बढऩा चाहिए था उतना हम नहीं बढ़ सके थे। हमें बाहर के देशों की खोजी हुई साईंस पर आधारित होना पड़ता था लेकिन अब साईंस क्षेत्र में निरंतर आगे बढऩे के लिए कार्य किए जा रहे हैं। हमें खुद रिसर्च करनी चाहिए ताकि दूनिया को हम साईंस के माध्यम से संसार दिखा सकें। कोविड के समय इस बात को देखने को मिला है कि हमने खुद अपनी वैक्सीन तैयार की। हमारी वैक्सीन इतनी कारगर सिद्ध हुई कि दूसरे देशों में इसका निर्यात हुआ।
तकनीकी मंत्री में यह भी कहा कि आज आवश्यकता है साईंस क्षेत्र में आगे बढऩे की, जीवन को सुगम बनाने के लिए साईंस को अपनाने की बेहद आवश्यकता है। उनके पास तकनीकी विभाग भी है और वह कोशिश कर रहे हैं कि साईंस क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ा जाए, 200 के करीब उद्योगों से एमओयू किया गया है। हमें वही पढना चाहिए, उसी का ज्ञान हासिल करना चाहिए जिसकी मार्किट में आवश्यकता है। अपनी मातृभाषा हिन्दी में बी.टैक की शुरूआत करवाई है।
तकनीकी मंत्री ने उपस्थित विद्यार्थियों को यह संकल्प लेने के लिए कहा कि डिग्री हासिल करने के बाद यदि हम अपना खुद का उद्योग स्थापित करना चाहते हैं तो अच्छी बात है और यदि हम किसी संस्था से जुडें तो इस बात का संकल्प लें कि हम पूरी ताकत से, अपने पूरे मन से, दृढ संकल्प से कार्य करें तो आपकी सफलता के दरवाजे अपने आप खुल जायेंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि सम्बन्धित संस्था का जो भी लाभ या हानि है उस फारमूले को अपनाएं। ऐसा करके आप जीवन में आगे बढ सकते हैं और साईंस क्षेत्र की जब भी बात होगी तो अम्बाला कॉलेज ऑफ इंजिनियरिंग अप्लाईड रिसर्च का जिक्र होगा कि इस कालेज द्वारा ऐेसे विद्यार्थियों को तैयार किया गया है। इससे पहले गृहमंत्री ने कालेज में स्थित लैब्रोटरी का भी अवलोकन किया और विद्यार्थियों को जो यहां पर साईंस से जुडी शिक्षा दी जा रही है उसकी सराहना की।