किसानों का रूझान मधुमक्खी पालन की आरे बढऩे लगा है। जिला बागवानी अधिकारी डा. अब्दुल रज्जाक ने बताया कि मधुमक्खी पालन एक ऐसा व्यवसाय है,जिससे किसान कम लागत में अधिक आय प्राप्त कर सकते है। उन्होंने बताया कि मधु मक्खी पालन के लिए बागवानी विभाग द्वारा किसानों को 85 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। उन्होंने किसानों से अपील करते हुए कहा कि किसान परम्परागत खेती को छोडक़र मधुमक्खी पालन करें।
एक किसान पचास बॉक्स लगाकर मधुमक्खी पालन कर सकता है। मधुमक्खी पालन के लिए बागवानी विभाग द्वारा किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बागवानी विभाग द्वारा पललव जिले में मधु मक्खी पालन के लिए 100 बॉक्स का टारगेट दिया गया था। किसानों को 100 बॉक्स प्राप्त कर मधुमक्खी पालन शुरू कर दिया है। इसके अतिरिक्त 10 किसानों ने भी मधुमक्खी पालन के लिए 500 बॉक्स लेने के लिए आवेदन किया है। बागवानी विभाग द्वारा किसानों को मधुमक्खी पालन के लिए बॉक्स उपलब्ध करवाऐं जाएगें।
उन्होंने बताया कि हमारे देश में मुख्य रूप से मधुमक्खी की चार प्रजातियां पाई जाती है जिनमें छोटी मधुमक्खी, पहाडी मधुमक्खी, देशी मधुमक्खी तथा एपिस मेलिफेरा शामिल है। इनमे से देशी मधुमक्खी व व एपिस मेलिफेरा जाति की मधुमक्खियों को आसानी से लकड़ी के बक्सों में पाला जा सकता है। देशी मधुमक्खी प्रतिवर्ष औसतन 5-10 किलोग्राम शहद प्रति परिवार तथा इटैलियन मधुमक्खी 50 किलोग्राम तक शहद उत्पादन करती हैं।
उन्होंने बताया कि मधुमक्खी परिवारों की सामान्य गतिविधियाँ 100 और 380 सेंटीग्रेट की बीच में होती है, उचित प्रबंध द्वारा प्रतिकूल परिस्तिथियों में इनका बचाव आवश्यक हैं। उत्तम रखरखाव से परिवार शक्तिशाली एवं क्रियाशील बनाये रखे जा सकते है। मधुमक्खी परिवार को विभिन्न प्रकार के रोगों एवं शत्रुओं का प्रकोप समय समय पर होता रहता है। जिनका निदान उचित प्रबंधन द्वारा किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास किए जा रहे है।