शिक्षा के मंदिर पर ताला लग गया क्योंकि शिक्षा विभाग अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाने में असफल साबित हो रहा है जिसके कारण सैकड़ों बेटियों की शिक्षा और भविष्य पर ताला लग गया है। सोनीपत के गोहाना खंड का यह गांव लाठ में बना हुआ प्राइमरी विद्यालय है। कभी स्कूल के प्रांगण में बेटियों रौनक होती थी लेकिन आज यह रोनक के गंदे पानी में तब्दील हो गई है इस गंदे पानी में बच्चों के क्लास रूम में भी गंदा पानी भरा हुआ है और क्लास रूम के इस गंदे पानी में जहरीले जीव बिच्छू कनखजूरा जैसे जहरीले जिओ पनप रहे हैं।
और जब लगातार विद्यालय में पानी की मात्रा बढ़ती दिखाई दी तो बच्चों की सुरक्षा को लेकर स्कूल प्रशासन ताला लगाने को मजबूर हो गया करीबन 10 दिन बीत जाने के बाद भी सोनीपत का शिक्षा विभाग और प्रशासन इसे कितना नजरअंदाज कर सकता है यह इन तस्वीरों से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। प्रदेश की सरकार बेटियों की शिक्षा और गरीबों के बच्चों को शिक्षित करने के लिए सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने का प्रयास कर रही है लेकिन सोनीपत में अलग-अलग सरकारी स्कूलों में इतने बदतर हालात के लिए आखिर कौन जिम्मेवार है और जो जिम्मेदार लोग हैं वह सरकार की नीतियों को आखिर किन वजह से पलीता लगा रहे हैं
यह वजह साफ देखी जा सकती है समझने वाले लोग आसानी से समझ सकते हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि यह बच्चे आने वाले कल के वह चिराग हैं जो किसी बड़ी कुर्सी पर बैठकर आसीन होगा और समाज और परिवार में रोशनी करेगा लेकिन यहां पर इन चिरागों के जीवन में ही अंधेरा करने वाला कोई और नहीं बल्कि सोनीपत का शिक्षा विभाग और प्रशासन है अब देखना यह होगा कि प्रदेश के शिक्षा मंत्री क्या वाकई इस पर संज्ञान लेंगे या फिर एक बार फिर ठंडे बस्ते में स्कूल की इस बदहाली को डाल देंगे फिलहाल छोटे-छोटे बच्चों का भविष्य अंधकार में जरूर है लेकिन गांव के लोगों की सहमति और जिम्मेदारी होने के कारण गांव के लोगों ने इन छोटे बच्चों को पढ़ाई कराने के लिए गांव के ही सीनियर सेकेंडरी स्कूल में भेजना शुरू किया है लेकिन प्राइमरी स्कूल का क्या होगा जिस पर अब ताला लग गया है।