सरकार द्वारा शुरू की गई कृषि अवसंरचना कोष योजना का लाभ उठाकर बेहतर व्यवसाय शुरू किया जा सकता है और साथ ही कृषि से संबंधित कार्यों के लिए बेहतर ढांचागत सुविधा खड़ी की जा सकती है। सरकार की इस योजना के बाद अब कृषि क्षेत्र से संबंधित ढांचागत कार्य करने वाले लोगों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। सरकार द्वारा नाबार्ड के माध्यम से कृषि क्षेत्र में किए जाने वाले लगभग सभी कार्यों को लेकर शुरू की गई कृषि अवसंरचना कोष योजना के तहत फसल के उपरांत कृषि उत्पादन के उचित प्रबंधन, बुनियादी ढांचे, सामुदायिक कृषि संपत्तियों के विकास एवं फार्म गेट की अवसंरचना के निर्माण के लिए छूट के साथ ऋण देने का प्रावधान किया गया है।
उपायुक्त राहुल हुड्डा ने बताया कि सरकार ने कृषि क्षेत्र के विकास के लिए एक और नई पहल करते हुए कृषि अवसंरचना कोष योजना की शुरुआत की है। इसके अंतर्गत इच्छुक लोगों को 2 करोड़ रुपए तक का बैंक ऋण देने का प्रावधान है, जिस पर ब्याज दर में 3 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। ऋण स्वीकृत होने पर अधिकतम 7 वर्षों तक ब्याज में यह छूट रहेगी और 2 वर्ष की ऋण वापसी स्थगन की अवधि होगी। इस 2 करोड़ रुपए तक के बैंक ऋण पर फंड ट्रस्ट फॉर माईक्रो एंड स्मॉल इंटरप्राइजेज द्वारा क्रेडिट की गारंटी होगी। यह गारंटी शुल्क उद्यमी की बजाए भारत सरकार द्वारा वहन की जाएगी। किसी अन्य योजना में सब्सिडी लेते हुए भी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। भारत सरकार ने कृषि अवसंरचना कोष योजना के लिए राज्य सरकार को नाबार्ड के माध्यम से समुचित आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई है।
उन्होंने बताया कि इस योजना के अंतर्गत कृषि व संबंधित क्षेत्र के लगभग सभी कार्यों को शामिल किया गया है। योजना के तहत बागवानी, मछली पालन, पशुपालन आदि से संबंधित कार्य करते हुए लाभ लिया जा सकता है। सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना के माध्यम से किसान फसल की कटाई के बाद उसकी सही कीमत मिलने तक उसे सुरक्षित रख सकेंगे। योजना की अवधि वित्तीय वर्ष 2020 से 2029 तक 10 साल निर्धारित की गई है। योजना का उद्देश्य उद्योगों एवं आधारभूत सुविधाओं के विकास के लिए प्राप्त किए गए ऋण पर सब्सिडी व बैंक गारंटी के माध्यम से किसानों व कृषि क्षेत्र से जुड़े उद्यमों को निवेश बढ़ाने और आधुनिक तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है। साथ ही योजना का उद्देश्य कृषि क्षेत्र में आधारिक तंत्र को मजबूत करना भी है, जिससे देश के बड़े बाजारों तक किसानों की पहुंच सुनिश्चित की जा सके और साथ ही नवीन तकनीकों के माध्यम से फाइट सेनेटिक मानदंडों को पूरा करते हुए अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक भी भारतीय किसानों की पहुंच बढ़ाई जा सके।
नाबार्ड के डीएम दीपक जाखड ने योजना की जानकारी देते हुए बताया कि योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए प्राथमिक कृषि साख समितियां, विपणन सहकारी समितियां, किसान उत्पादन संगठन, स्वयं सहायता समूह, संयुक्त देयता समूह, बहुउद्देशीय सहकारी समितियां, कृषि उद्यमियों, स्टार्टअप, एग्रीगेशन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोवाइडर्स आदि पात्र हैं। फसलों की कटाई के बाद अनाज के प्रबंधन के लिए अवसंरचना के विकास के तहत सप्लाई चेन, ई-बाजार, भंडार-गृह, साइलोस, पैक-हाउस, जींस गुणवत्ता हेतु लैब, सोर्टिंग-ग्रेडिंग इकाई, कोल्ड-चेन, लॉजिस्टिक सुविधा, राइपिंग चेंबर आदि शामिल हैं। सरकार और बैंकों के बीच किये गए समझौते में निर्धारित है कि बैंक आवेदन के 60 दिनों के अंदर अपना निर्णय हितग्राही, जिला स्तरीय, राज्य स्तरीय और राष्ट्र स्तरीय निगरानी समिति, नाबार्ड व वित्तीय सेवा विभाग के साथ साझा करेगा। नाबार्ड द्वारा वित्तीय सहायता देने के लिए किसान उत्पादक संगठन जुड़ी परियोजनाओं के चयन के बाद पोर्टल पर इसकी जानकारी साझा करेगा और नाबार्ड द्वारा धनराशि जारी करने के बाद सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से सब्सिडी सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में भेज दी जाएगी। योजना को लेकर अधिक जानकारी के लिए किसान 18001802117 और एग्रीईंफ्राडॉटडीएसीडॉटजीओवीडॉ टआईएन इन पर संपर्क कर सकते हैं।