अंबाला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं कांग्रेस नेता रोहित जैन ने राष्ट्रपति को लिखें पत्र में कहा कि सिक्योरिटी के मद्देनज़र जेल को स्थानात्रित किया जाना चाहिए लेकिन इस पुरानी ईमारत के साथ कोई छेड़ छाड़ न करते हुए इसे राष्ट्रीय समारक घोषित किया जाना चाहिए ताकि आने वाली पीड़ियों को अपने इतिहास कि जानकारी मिलती रहे। उन्होंने कहा कि कई स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी लोग इस जेल में रहे हैं। यहां एक बहादुर क्रांतिकारी बसंत कुमार विश्वास को फांसी दी गई थी। 3 सितंबर 1915 को अंग्रेजों के खिलाफ बगावत करने पर 12 लोगों को अंग्रेजों ने फांसी पर लटका दिया था।
स्वतंत्रता सेनानी और उत्तर प्रदेश की पहली मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी भी इसी जेल में रहीं। मौलाना साबरी स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंबाला जेल में भी रहे। अमर शहीद भगत सिंह की बहन अमर कौर को 1942 में यहां रखा गया था। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अंग्रेजों के अत्याचारों का सामना करने वाली स्वतंत्र भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर को भी यहां रखा गया था। यहां कई खूंखार उग्रवादियों को रखा गया था और आजादी के बाद 29 अपराधियों को फांसी भी दी गई थी।
यहां अंतिम व्यक्ति को 1989 में फांसी दी गई थी। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। हम अनुरोध करते हैं कि उन सभी महान स्वतंत्रता सेनानियों को सच्ची श्रद्धांजलि के रूप में जो केंद्रीय जेल अंबाला में शहीद और कैद हुए थे, इस जेल की मौजूदा ऐतिहासिक संरचना के साथ छेड़छाड़ किए बिना इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाए। पत्र कि प्रति प्रधानमंत्री, राज्यपाल हरियाणा, मुख्यमंत्री, जेल मंत्री और महानिदेशक कारागार को भी पत्र भेजी गई है।