सरकार ने किसानों का आह्वान किया है कि वे अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि के सहायक धंधे के रूप में मधुमक्खी पालन को अपनाएं। सरकार द्वारा मधुमक्खी पालकों के लिए 85 प्रतिशत तक की सहायता राशि का प्रावधान किया गया है। अनुदान के लिए बक्सों की अधिकतम संख्या 50 निर्धारित की गई है। मधुमक्खी पालन के औजारों जैसे हनी प्रोसेसिंग, बाटलिंग तथा हनी टेस्टिंग पर 75 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान भी किया गया है।
मानव जाति की सबसे बड़ी मित्र होने के साथ छोटी सी मधुमक्खी ने प्रकृति के विकास में बड़ा योगदान दिया है। मधुमक्खी मधुर एवं पौष्टिक खाद्य पदार्थ अर्थात शहद का उत्पादन करती है। लीची, नींबू प्रजातीय फलों, अमरूद, बेर, आड़ू, सेब इत्यादि एवं अन्य दलहनी एवं तिलहनी फसलों में मधुमक्खियों द्वारा परागण अत्यन्त महत्वपूर्ण है। परीक्षणों से यह भी जानकारी मिली है कि पर-परागण के बाद जो फसल पैदा होती है, उन दानों का वजन एवं पौष्टिकता अच्छी होती है। इससे स्पष्ट होता है कि मधुमक्खियाँ केवल शहद ही पैदा नहीं करती वरन फसलों की पैदावार बढ़ाकर खुशहाल बनाकर प्रदेश एवं देश को आर्थिक पौष्टिक खाद्यान्न उपलब्ध कराने में मदद करती हैं।
मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार ने अनुदान की योजना को भी क्रियान्वित किया है। सरकार ने मधुमक्खी पालको के हित में अनेक कदम उठाए हैं। एनबीएचएम स्कीम के तहत कस्टम हायरिंग केंद्र, मधुमक्खी उपकरणों व टेस्टिंग लैब आदि पर 50 से 75 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। वर्तमान में एमआईडीएच के मदों में भी टॉपअप सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। एनबीएचएम स्कीम के तहत शहद प्रसंस्करण इकाई, शीत भंडारण, शहद उत्पादों का संग्रह, व्यापार व वितरण आदि पर 50 से 75 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान हैयोजना के तहत किया गया है। योजना का लाभ लेने के लिए लिए उद्यान अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।