November 23, 2024

मन में आईएएस बनने की ठानी थी, पहली बार निराशा हाथ लगी तो भी हार नहीं मानी और दूसरी बार 320वां रेंक मिला था। ट्रनिंग के साथ-साथ पढ़ाई कर मेहनत की और उसी का नतीजा है कि शाश्वत सांगवान ने यूपीएससी में 34वां रेंक हांसिल करते हुए आईएएस बना है। बेटे की इस उपलब्धि पर परिजनों ने नाच गाकर व मिठाइयां बांटकर खुशियां मनाई। शाश्वत सांगवान फिलहाल दिल्ली कैंट में आईडीईएस की ट्रेनिंग पर है और माता-पिता बहादुरगढ़ में रह रहे हैं।

बता दें कि चरखी दादरी के गांव पैंतावास खुर्द निवासी शाश्वत सांगवान की प्राथमिक शिक्षा गांव व चरखी दादरी में हुई। बाद में पिलानी से बीटेक की परीक्षा पास की और आईएएस की तैयारी में जुट गया। पिता डा. सतीश सांगवान व माता डा. ललिता सांगवान का दिल्ली के द्वारका में अस्पताल है और परिवार सहित बहादुरगढ़ में रह रहे हैं। शाश्वत सांगवान ने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी तो सफलता नहीं मिली। फिर भी हार नहीं मानी और लगातार तैयारी करता रहा, पिछले वर्ष यूपीएएस की परीक्षा में 320वां रेंक हांसिल किया तो उनको आईडीईएस में नौकरी मिली। बावजूद इसके शाश्वत ने मन में आईएएस बनने की ठानी और आईडीईएस की ट्रेनिंग के साथ-साथ यूपीएएस की तैयारियां जारी रखी।

जिसका नतीजा तीसरे चांस में शाश्वत ने 34वां रेंक हांसिल करते हुए गांव व क्षेत्र का नाम रोशन किया है। शाश्वत सांगवान की उपलब्धि पर परिजनों ने नाच गाकर मिठाइयां बांटते हुए खुशियां मनाई। परिजनों ने खुशी के साथ शाश्वत के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

शाश्वत सांगवान ने कहा कि पहली बार में सफलता नहीं मिली तो लगातार कोशिश की। परिजनों व माता-पिता से प्रेरणा लेकर तैयारी की। दूसरे चांस में 320वां रेंक मिला था। ट्रेनिंग के दौरान भी तैयारी करता रहा, आज तीसरे चांस में आईएएस बनने का सपना पूरा हुआ है। युवाओं को टारगेट लेकर मेहनत करनी चाहिएं, सफलता जरूर मिलेगी।चाचा सुनील सांगवान ने कहा कि बेटे ने आईएएस बनने की जिद्द की थी और काफी मेहनत भी की। इसलिए दूसरे चांस में बेटा ने 34वां रेंक हासिल करते हुए गांव व सांगवान परिवार का मान बढ़ाया है।

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