August 16, 2025
WhatsApp Image 2025-08-16 at 3.56.20 PM

गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद के सानिध्य में श्री कृष्ण कृपा जीओ गीता परिवार द्वारा जन्माष्टमी का त्योहार गीता ज्ञान संस्थानम् परिसर में स्थित श्री कृपा बिहारी मंदिर में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर मंदिर को भव्य रोशनी से सजाया गया। मुख्यमंत्री नायब सैनी ने कृपा बिहारी मंदिर में कान्हाजी को झूला झुलाया और गीता मनीषी से आशीर्वाद प्राप्त किया। वहीं श्रद्धालु भी सुबह से कान्हा को झूला झुलाने के लिए बारी का इंतजार करते रहे।

मंदिर में दूर-दराज से आए हजारों श्रद्धालुओं ने श्री कृपा बिहारी के दर्शन किए। जन्माष्टमी पर्व समिति के संयोजक हंसराज सिंगला ने बताया कि इस अवसर पूरे संस्थानम् को फूलों और रोशनी से सजाया गया है। राधा और कृष्ण के भजनों से सारा वातावरण भक्तिमय हो गया। कान्हा जन्म होते ही नंद के घर आनंद भयो के भजन पर श्रद्धालु झूम उठे। संस्थानम् की ओर से श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का प्रबंध किया गया था।

उधर, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने जन्माष्टमी की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी की तिथि सौभाग्यशाली है। इस तिथि पर हमें भगवान श्री कृष्ण के अवतार के रूप में एक असाधारण उपहार मिला। जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के अवतार का पर्व है। उनका अवतार अंधकार में प्रकाश की प्रेरणा बनकर हुआ। हथकड़ियां-बेड़ियां मोक्ष की प्रेरणा बनकर टूटी। जेल के ताले आनंद और भावना बनकर चेतना के द्वार खोल गए।

उन्होंने कहा कि जहां श्रीकृष्ण अवतार होता है, वहां दुष्प्रवृत्तियां सो जाती है और सद्वृतियां जाग जाती है। कृष्ण अवतार प्रेम और सद्भावनाओं का अवतार है। ये अवतार परंपराओं के संरक्षण का अवतार है। वृदांवन धाम में श्री कृष्ण ने बांसुरी के स्वर उडे़ले और कुरुक्षेत्र में आकर इन स्वरों का गीता ज्ञान का दिव्य रूप दिया। गीता ज्ञान के रूप में उनका अवतार उस समय के लिए ही नहीं बल्कि आज और भविष्य के लिए भी प्रासंगिक है। गीता मनीषी ने लोगों से गीता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *