संसद सत्र के छठवें दिन मंगलवार को अडाणी और संभल हिंसा पर एक बार फिर हंगामा हुआ। सपा सांसद अखिलेश यादव ने कहा, ‘संभल में जो घटना हुई, वह एक सोची-समझी साजिश है। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि उत्तर प्रदेश में चुनाव था। अफसरों पर FIR होनी चाहिए।’
अखिलेश यादव के बयान पर सपा सांसद राम गोपाल यादव ने कहा, ‘किसी अधिकारी के खिलाफ मुकदमा कायम नहीं हुआ। जो संभल में हुआ उसी आधार पर बदायूं, जौनपुर और अजमेर शरीफ में जो हो रहा है ये सारे देश में आग लगाने की साजिश है कि नहीं?’
उन्होंने कहा- 24 नवंबर को सुबह 6 बजे पूरे संभल में पुलिस तैनात कर दी गई। संभल के लोगों को पता ही नहीं था कि पुलिस क्यों तैनात की जा रही है। कुछ देर बाद DM, SSP, वकील और कुछ लोग पुलिस के साथ ढोल बजाते हुए मस्जिद में घुस गए। भीड़ को शक था कि वे मस्जिद में तोड़फोड़ करने जा रहे हैं।
विपक्ष ने संसद के बाहर अडाणी मुद्दे पर प्रदर्शन किया इससे पहले संसद के बाहर विपक्षी INDIA ब्लॉक ने अडाणी और संभल मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। विपक्ष इसकी जांच के लिए जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) की मांग कर रहा है। हालांकि इस प्रदर्शन में तृणमूल कांग्रेस (TMC) और समाजवादी पार्टी (SP) शामिल नहीं हुई।
गौतम अडानी की कंपनी पर US में निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने और एक सोलर एनर्जी कॉन्ट्रेक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगाया गया है। आरोप है कि 2020 से 2024 के बीच अडानी ग्रीन और एज्योर पावर ग्लोबल को सोलर प्रोजेक्ट दिलाने के लिए गलत तरीके से भारतीय अधिकारियों को करीब 2236 करोड़ रुपए रिश्वत दी गई।