हरियाणा के राज्यपाल एवं हरियाणा श्रवण एवं वाणी निशक्त जन कल्याण समिति के अध्यक्ष बंडारू दत्तात्रेय ने लोगों से अपील की है कि वे भी सांकेतिक भाषा (साइन लैंग्वेज) सीखें। इससे उन्हें बधिरों के साथ संवाद करने में आसानी होगी और बधिक भी खुद को समाज से जुड़ा महसूस करेंगे। उन्होंने कहा कि साइन लैंग्वेज विश्वविद्यालय स्तर पर भी शुरू होनी चाहिये।
राज्यपाल ने आज यहां बधिरों के साथ संवाद भी किया और उन द्वारा रखी गई मांगों को जल्द पूरा करने का आश्वासन दिया। उन्होंने समिति द्वारा संचालित करनाल केंद्र के बच्चों को भी भ्रमण पर ले जाने के निर्देश उपायुक्त तथा उपाध्यक्ष एवं चेयरपर्सन को दिये।
राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने आज यहां माता प्रकाश कौर श्रवण एवं वाणी निशक्त जन कल्याण केंद्र में आयोजित सम्मेलन कक्ष उद्घाटन एवं बाल दिवस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। उन्होंने केंद्र में करीब 25 लाख रुपये की लागत से बने सम्मेलन कक्ष का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि वे आज बाल दिवस पर देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल की जयंती पर भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। पंडित नेहरू को बच्चों के प्रति अपार स्नेह और प्यार था। बच्चों के प्रति ऐसी भावना हर व्यक्ति में होनी चाहिये।
उन्होंने बधिर बच्चों को पूरी निष्ठा से पढ़ाने के लिये केंद्र के शिक्षकों की भूरी-भूरी प्रशंसा की। साथ ही कहा कि बधिर भी समाज के अंग हैं। उनके साथ हर किसी को अपनत्व का व्यवहार करना चाहिये। राज्यपाल ने बताया कि उन्होंने भी 1980 में राजनीति में प्रवेश के वक्त दिव्यांगों की मांगों को लेकर आवाज उठाई थी। कहा कि दिव्यांगों को ईश्वर भी अतिरिक्त शक्ति देता है।
राज्यपाल ने सांकेतिक भाषा लैब की शुरूआत करने के लिये समिति के गुडग़ांव केंद्र की सराहना की। साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सांकेतिक भाषा को एक भाषा विषय के रूप में मान्यता देकर लोगों से इसे सीखने का आह्वान करने के लिये उनका आभार जताया।
उन्होंने बधिर विद्यार्थियों से नई प्रौद्योगिकी से जुडऩे और कौशल को बढ़ाने का आह्वान किया।
उम्मीद जताई कि वे एक दिन पैरों पर खड़े होकर अवश्य दूसरों को रोजगार प्रदान करने वाले बनेंगे। श्री दत्तात्रेय ने समिति के करनाल केंद्र की डिजीटल लैब की प्रशंसा करते हुये कहा कि छात्र-छात्रायें इससे जुडक़र दुनिया को देख सकते हैं। राज्यपाल ने कहा कि पिछले दिनों पैरालिंपिक खेलों में 9 में से चार पदक हरियाणा के खिलाडिय़ों द्वारा जीतना गर्व की बात है। बधिरयुवाओं को भी खेलों के साथ-साथ फाइन आर्ट, क्राफ्ट जैसे विषयों को अपनाकर और आगे बढऩा चाहिये।