उत्तर भारत मे इस बार मार्च के महीने में ही मई जैसी तपिश है। पारा 37 डिग्री पहुंच गया है। तेजी से बढ़ रहे पारे की वजह से इस बार गेहूं भी समय से पहले पकने की संभावना है।
खेतों में नमी कम होने की वजह से गेहूं का दाना सिकुड़ने और उत्पादन गिरने का डर किसानों को सता रहा है। अधपका होने की वजह से गेहूं का स्वाद और पौष्टिकता में भी कमी आ सकती है। यही वजह है कि पारा बढ़ने के साथ किसानों की चिंता बढ़ गई है।
हरियाणा के रोहतक जिले में 1.02 हेक्टेयर गेहूं का रकबा है। कृषि विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि अधिक गर्मी से गेहूं का दाना सिकुड़ सकता है। लेकिन फिलहाल कहीं से इस तरह की सूचना न मिलने की बात भी कह रहे हैं।
उनका कहना है कि पिछले साल से विशलेषणात्मक अध्ययन के बाद ही कुछ कहना संभव होगा। कृषि जानकारों का मानना है कि इन दिनों आमतौर पर 30 डिग्री के आसपास तापमान रहता है। सामान्य तापमान में गेहूं का दाना सामान्य प्रक्रिया के तहत पकता है।
लेकिन अधिक तापमान में गेहूं अच्छी तरह नहीं फूलता और न ही वह सही ढंग से पकता है। इस वजह से वह काफी सख्त हो जाता है। इस कारण अधपका होने की वजह से गेहूं के स्वाद में भी कमी आएगी और पौष्टिकता भी कम हो सकती है।
अधिक तापमान होने से गेहूं जल्दी पकता है। नमी की कमी से गेहूं का दाना सिकुड़ सकता है और उसका वजन कम होता है। वस्वाभाविक है कि इससे उत्पादन कम होगा।
हालांकि सभी जगह तापमान एक जैसा नहीं होता, अभी तक कहीं से भी इस तरह की सूचना नहीं मिली है। पिछले साल के तापमान आदि कई तथ्यों का तुलनात्मक अध्ययन के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकती है इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
लेकिन जिस अगेती फसल में अभी दूधिया दाना है और तापमान ज्यादा होने की वजह से जमीन सूख चुकी है, तो किसान हल्का हल्का पानी गेहूं में देकर अपनी फसल को बचा सकता है। लेकिन पछेती फसल में गेहूं के फुटाव में दिक्कत आ सकती है।