September 19, 2024

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की आंतरिक शिकायत समिति के सहयोग से यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट द्वारा एमबीए के छात्रों के नए बैच के लिए कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न विषय पर एक जागरूकता सत्र आयोजित किया।

इस  विचार-विमर्श का उद्देश्य छात्र प्रतिभागियों को उत्पीड़न के मुद्दों, पूर्वाग्रहों और प्रचलित संवेदनशीलताओं के बारे में जानकारी प्रदान करना था। उपस्थित लोगों ने विश्वविद्यालय की यौन उत्पीड़न नीति के माध्यम से कार्यस्थल पर विभिन्न उत्पीड़न चिंताओं को पहचानने और संबोधित करने में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्राप्त की।

यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मैनेजमेंट की अध्यक्ष प्रो. निर्मला चौधरी ने युवाओं में लिंग-संवेदनशील व्यवहार के बारे में जागरूकता पैदा करने और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए समतावादी व्यवहार को विकसित करने पर जोर दिया। और विभाग में सहयोग के लिए आंतरिक शिकायत समिति की अध्यक्ष प्रो. सुनीता सरोहा का आभार व्यक्त किया।

प्रो. सुनीता सिरोहा ने कहा कि कार्यस्थल पर उत्पीड़न किसी भी रूप में हो सकता है, चाहे वह मौखिक हो या शारीरिक, जिस पर रोक लगनी चाहिए। वह यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2015 के विवरण साझा करके छात्रों को प्रावधानों और दंडों के बारे में जागरूक करती हैं। वह छात्रों को शिकायत प्रक्रिया और ऐसे मामलों के लिए हेल्पलाइन नंबर के बारे में भी बताती हैं।

व्याख्यान के रिसोर्स पर्सन सामाजिक कार्य विभाग की अध्यक्ष डॉ. वनिता ढींगरा ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को रोकने, निषेध करने और निवारण के लिए संवैधानिक उपायों पर विचार-विमर्श किया।

उन्होंने इस विषय पर स्पष्ट और सटीक दृष्टिकोण देते हुए विस्तार से बात की, जहाँ लड़कियों को अनुचित सामाजिक नियंत्रण, भेदभाव और वर्चस्व सहना पड़ता है, और लड़कों को भावुक, कोमल या भयभीत होने से हतोत्साहित किया जाता है।

उन्होंने छात्रों को समझाया कि उत्पीड़न; महिलाओं के बारे में नहीं है, यह लोगों के बारे में है। प्रेरक व्याख्यान के बाद एक प्रश्न-उत्तर सत्र हुआ, साथ ही एक बातचीत सत्र भी हुआ जहाँ छात्रों ने अपने विचार साझा किए।

इस अवसर पर प्रो. रमेश चंद दलाल, प्रो. सुशील शर्मा, प्रो. अनिल मित्तल, प्रो. सिद्धार्थ एस भारद्वाज, प्रो. सलोनी पी दीवान, प्रो. अजय सोलखे और प्रो. विवेक कुमार सहित शोधार्थी व विद्यार्थी मौजूद थे।

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