भारतीय किसान यूनियन की मीटिंग प्रदेश अध्यक्ष रतनमान की अध्यक्षता में करनाल में हुई। इस मीटिंग में किसानों ने अपनी मांगों को जोर-शोर से उठाया। किसानों ने कंगना रणौत द्वारा दिए गए ब्यानों की निंदा करते हुए रोष जताया और कहा कि यदि कंगना रणौत को किसानों से दिक्कत है तो उन्हें भारत में नहीं रहना चाहिए। उन्हें यह देश छोड़ देना चाहिए। इस मीटिंग में प्रदेशभर के किसानों ने भाग लिया।
भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष रतन मान ने इस अवसर पर कंगना रनोट के बयानों पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कंगना के मुंह से भाजपा के विचारों को ही व्यक्त कराया जा रहा है।
कंगना का बयान भाजपा की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, जो किसानों के बीच भ्रम फैलाने का प्रयास कर रही है। किसान नेताओं ने कहा कि कंगना रनोट के बयानों से किसान समुदाय में रोष है और उन्होंने भाजपा से कंगना के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
किसानों का मानना है कि कंगना का किसानों के खिलाफ बोलना केवल राजनीतिक लाभ उठाने के लिए किया जा रहा है। रतन मान ने कहा कि सरकार ने एमएसपी की घोषणा को चुनावी एजेंडा का हिस्सा बना दिया है, जिसमें कुछ फसलों को भी जोड़ा गया है।
जिनका हरियाणा में उत्पादन ही नहीं होता। उन्होंने कहा कि एमएसपी की व्यवस्था पहले से ही मौजूद है, लेकिन किसानों को फसल खरीद की गारंटी चाहिए, जिसके बिना एमएसपी का कोई महत्व नहीं है। उन्होंने सरकार से मांग की, कि वह एमएसपी खरीद गारंटी का कानून बनाए, ताकि किसानों को उनके फसलों का उचित मूल्य मिल सके।
इसके अलावा हरियाणा में 35 प्रतिशत कम वर्षा के चलते प्रदेश को सूखा प्रभावित घोषित करने की भी मांग की गई। मान ने कहा कि सरकार को। अक्तूबर से खरीफ फसल की खरीद शुरू करनी चाहिए और किसानों को उनकी फसलों के नुकसान का मुआवजा देना चाहिए।
इस अवसर पर किसान नेता कुलदीप खरड, चौधरी बारूराम, गुरनाम सराहरण, सोनू मालपुरिया, सुरेंद्र सिंह घुम्मन, सुभाष गुर्जर और नरमेल सिंह ने सरकार की घोषणाओं को केवल कागजी बताते हुए कहा कि ये घोषणाएं केवल पोर्टल तक ही सीमित रह गई हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने 33 करोड़ रुपए का कर्ज माफ करने का दावा किया है, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि यह कर्ज किसका माफ किया गया है।
किसान नेताओं ने कंगना रनोट पर निशाना साधते हुए कहा कि वह बार-बार किसानों को टारगेट कर रही हैं और भाजपा के इशारे पर काम कर रही हैं। कंगना किसानों के खिलाफ बोलकर सांसद बनी और अब उनका उद्देश्य मुख्यमंत्री बनना है। किसान नेताओं ने भाजपा से मांग की कि वे कंगना के इस व्यवहार पर उन्हें सजा दें, ताकि भविष्य में इस तरह की बयानबाजी न हो।
आने वाली 20 सितंबर को कलायत में किसान संगठनों की एक और बैठक आयोजित होगी। जिसमें चुनावी रणनीति पर गहन चर्चा की जाएगी। किसान नेताओं का कहना है कि इस बार हरियाणा में किसान अपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे और चुनावों में भाजपा के खिलाफ पलटे वाला हल चलाएंगे।