मुख्यमंत्री मनोहर लाल अंत्योदय उत्थान योजना को लेकर कितने गंभीर हैं, इस बात की बानगी रविवार को कलायत के वीरेंद्र सिंह के लोन के आवेदन को लेकर सामने आई। जब स्वयं मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने फोन करके वीरेंद्र सिंह से पूछा कि आखिर वे इस योजना के तहत आवेदन करने के बावजूद लोन क्यों नहीं लेना चाहते?
इस पर जब आवेदनकर्ता वीरेंद्र सिंह ने कोटेशन के साथ दुकानदार द्वारा दस प्रतिशत की राशि देने में असमर्थता जताई तो मुख्यमंत्री ने एसपी कैथल को फोन करके जांच के आदेश दिए। जांच में सामने आया कि दुकानदार ने बिल पर जीएसटी की बात कही थी। अब वीरेंद्र सिंह को एक लाख रुपये के लोन का रास्ता साफ हो गया है।
कैथल के एसपी मकसूद अहमद ने प्रेस वार्ता कर बताया कि ऐसा एक मामला कैथल में आया जब कलायत के गांव का निवासी ने मुख्यमंत्री अंतोदय परिवार उत्थान योजना के तहत 10,000 रुपए का लोन नाई की दुकान का सामान लेने के लिए अप्लाई किया उसका लोन भी पास हो गया परंतु उसने लोन नहीं लिया
इस बार जब मुख्यमंत्री कार्यालय ने उक्त व्यक्ति को फोन करके पूछा गया कि आप लोग क्यों नहीं ले रहे हैं तो उसने बताया कि जी मैं गरीब आदमी हूं का 10,000 रुपए लोन है और मुझ से सामान खरीदने की कोटेशन में कमीशन मांगी जा रही है तो इसलिए मैं लोन लेकर क्या करूंगा मुख्यमंत्री कार्यालय ने तुरंत इसका संज्ञान लिया और कैथल के एसपी मकसूद अहमद को इसकी जांच करने के लिए कहा
कैथल एसपी ने इसकी जांच की और जांच के बाद ऐसा पहला मामला होने के कारण चेतावनी देकर छोड़ा गया और आगे से वार्निंग दे दी गई अगर किसी ने सरकार द्वारा जारी योजनाओं में कमीशन खोरी का काम किया था उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी
कैथल पुलिस अधीक्षक ने प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देश हैं कि अगर कोई सरकारी योजनाओं में कमीशन खोरी का काम करता है तो उसे बख्शा नहीं जाएगा अभी हम सिर्फ चेतावनी जारी कर रहे हैं आगे से अगर ऐसा कोई मामला है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी
इस बार जब पीड़ित वीरेंद्र कुमार कमालपुर निवासी से बात की गई तो उसने कहा कि अब हमारा समझौता हो गया है यह कार्रवाई मुख्यमंत्री कार्यालय से हुई है और मुझे कहीं गलतफहमी हो गई थी मैं जीएसटी को कमीशन समझ बैठा मैं आगे कोई इस पर दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई नहीं चाहता