November 24, 2024

सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने कहा कि सरस्वती नदी के इतिहास को लेकर अब स्कूली विद्यार्थियों को जानकारी दी जाएगी। इसके लिए एनसीईआरटी की किताबों में सरस्वती नदी के इतिहास को पाठ्य सामग्री के रुप में शामिल किया जाएगा।

इसके साथ-साथ द बिगनिंग आफ इंडियन सिविलाइजेशन भारतीय सभ्यता का का एक चैप्टर भी छठी कक्षा की किताब में पढ़ाया जाएगा। उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने इसके लिए मुख्यमंत्री नायब सिंह का आभार व्यक्त किया है।

उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने कहा कि एनसीईआरटी में छठवीं कक्षा में सामाजिक विज्ञान की नई पाठ्यपुस्तक जारी की है। इस किताब में हड़प्पा सभ्यता को सरस्वती सिंधु सभ्यता के नाम से पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।

इस पाठ्यक्रम में सरस्वती नदी को घग्गर-हाकरा नदी का नाम दिया गया है। भारत में इसे घग्गर एवं पाकिस्तान में हकरा कहकर संबोधित किया जाता है, क्योकि इसी क्षेत्र में सरस्वती बहती थी और इसरों के द्वारा पेलियो चैनल इसी ट्रैक के लिए गए थे।

जिस तरह से पहले हरियाणा बोर्ड की किताबों में सरस्वती बोर्ड के प्रयासों से सरस्वती नदी के ऐतिहासिक व पौराणिक व वैज्ञानिक आधार पर सरस्वती बोर्ड द्वारा प्रयास किए गए एवं जो सरस्वती के किनारे पनपी सभ्यताएं जिसमें आदि बद्री से लेकर कुरुक्षेत्र राखीगढ़ी, कालीबंगा, बनावली, हड़प्पा मोहन जोदड़ो राजस्थान में कालीबंगा व गुजरात में धोलावीरा एवं लोथल के बारे में बताया गया।

उन्होंने कहा कि अब हरियाणा बोर्ड के सिलेबस के साथ-साथ एनसीईआरटी की छठी कक्षा की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक में सम्मिलित किया गया है जो कि बहुत ही स्वागत योग्य कार्य है।

बच्चें इस किताब के पाठ्यक्रम के माध्यम से सरस्वती नदी के इतिहास एवं वर्तमान में सरस्वती नदी के किनारे स्थित आर्कियोलॉजिकल साइट्स वह इस नदी पर पनपी सभी सभ्यताएं जिनका वर्णन विभिन्न धार्मिक ग्रन्थों में आता था उस सभी की जानकारी इस सिलेबस में उपलब्ध है, जिससे सरस्वती नदी के इतिहास के बारे में बच्चों को पढऩे को मिलेगा।

द बिगनिंग आफ इंडियन सिविलाइजेशन भारतीय सभ्यता का का एक चैप्टर एनसीईआरटी की छठी किताब में पढ़ाया जाएगा। इससे पहले एससीईआरटी की दसवीं कक्षा में सरस्वती सिंधु सभ्यता नाम से एक पूरा पाठ्यक्रम शामिल किया गया है।

उपाध्यक्ष ने कहा कि यह सरस्वती बोर्ड के लिए वह हरियाणा प्रदेश की सरकार के लिए पूर्व गौरव की बात है इसमें पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल व वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सैनी एवं समस्त सरस्वती बोर्ड की टीम का अहम योगदान है। सरस्वती सिंधु घाटी सभ्यता की सभी स्थल में टाउन प्लानिंग को दर्शाया गया है, जिसमें जितने भी आर्कियोलॉजिकल साइट्स सरस्वती नदी के किनारे है, वह सभी दिखाई गई है।

सरस्वती बोर्ड पहले भी इनके लिए प्रयास करता रहा है। सरस्वती नदी का वर्णन विश्व के सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में मिलता है, वह भी दर्शाई गई हैं और इसके अलावा जितने भी ग्रंथ है, सब में सरस्वती नदी को देवी के रुप में माना गया है।

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