आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा ने मंगलवार को प्रेसवार्ता कर चुनाव आयोग की निष्पक्षता का मुद्दा उठाया। उनके साथ प्रदेश संयुक्त सचिव मोना सिवाच और पंचकूला जिला अध्यक्ष रंजीत उप्पल भी मौजूद रहे।
उन्होंने कहा कि भाजपा के साथ साढ़े चार साल साझेदार रही जजपा में हड़कंप मचा हुआ है और जिस प्रकार पूरे हरियाणा में भाजपा के उम्मीदवारों को विरोध हो रहा है।
ये स्पष्ट दिखाता है कि पूरा माहौल भाजपा और उनके किसी भी सहयोगी के खिलाफ है। भाजपा की नीतियों की वजह से और उनका साथ देने वाले हर व्यक्ति से हरियाणा के लोग नफरत करने लगे हैं। लेकिन इसको चुनाव परिणाम तबदील होने के लिए एक निष्पक्ष चुनाव का होना बहुत जरुरी है और उस निष्पक्ष चुनाव के लिए चुनाव आयोग का निष्पक्ष होना बहुत जरुरी है।
हमें बड़े खेद के साथ ये कहना पड़ रहा है कि मौजूदा स्थिति में चुनाव आयोग लेवल प्लेइंग फिल्ड उपलब्ध करा पाने में विफल है। सभी पार्टियों को जो बराबरी का मौका मिलना चाहिए वो उपलब्ध करा पाने में चुनाव आयोग नाकाम है।
उन्होंने कहा कि हाल ही में कैथल में आम आदमी पार्टी ने अपने कार्यक्रमों की परमिशन के लिए चुनाव आयोग की वेबसाइट पर आवेदन किया था, जिसमें परमिशन तो रिजेक्ट की ही गई साथ में गालियां लिखकर जवाब दिया गया। इस मामले में चुनाव आयोग शुरु से ही लिपापोती की कार्रवाई कर रहा है।
सबसे पहले चुनाव आयोग ने पांच निचले कर्मचारियों को सस्पेंड कर मामले को रफादफा करने का प्रयास किया। जिनको सस्पेंड किया वो एचकेआरएन के तहत अनुबंधित कर्मचारी थे, उनको कौन से नियम के तहत सस्पेंड किया गया था। लेकिन जब मामला पूरे देश में चर्चा में आ गया तो खानापूर्ति करने के लिए कहा गया कि उपचुनाव अधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया।
चुनाव आयोग बताए कि यदि किसी जुर्म में एक उपचुनाव अधिकारी को सस्पेंड किया गया है तो चुनाव अधिकारी कैसे सुरक्षित है। न चुनाव अधिकारी निलंबित होते हैं और न उनका तबादता होता है। वो आज भी अपनी जगह पर सुरक्षित काम कर रहे हैं जबकि उनके कार्यालय में उनके अधीन इस तरह का पहला मामला देश में हुआ कि किसी पार्टी को गाली लिखकर उनकी परमिशन को रिजेक्ट किया गया हो। आखिर इस कैथल के चुनाव अधिकारी को किसकी सह है जो इनको हाथ नहीं लगाते हैं।
उन्होंने कहा कि ये वही चुनाव अधिकारी है जो चुनाव आचार संहिता लागू होते हुए भी चुनाव आचार संहिता के दौरान भाजपा के विधायक के इशारे पर प्रशासनिक कार्रवाई को रोकते और करते हैं। जिसके अनेकों उदाहरण अखबारों में छपते रहे हैं। इसका मतलब इस चुनाव अधिकारी को भाजपा सरकार का संरक्षण मिल रहा है।
सवाल ये है कि ऐसे चुनाव अधिकारी के होते हुए निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद नहीं की जा सकती। इस प्रकरण कैथल और पूरे हरियाणा की जनता देख रही है। हम इंतजार कर रह थे कि चुनाव आयोग आगे कुछ कार्रवाई करेगा।