पंजाब से दिल्ली कूच के लिए निकले हजारों किसानों के लिए राजधानी में प्रवेश करना इतना आसान नहीं है।
पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर पुलिस की कई लेयर पार करने के बाद किसानों को अंबाला से दिल्ली तक करीब 200 किलोमीटर की दूरी तय करनी होगी, लेकिन इस बीच हर 30 से 40 किलोमीटर की दूरी पर पुलिस की तरफ से किसानों को रोकने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
पंजाब की तरफ से आने वाले किसानों का पहला पड़ाव शंभू और खनौरी बॉर्डर है। हरियाणा पुलिस के अलावा पैरामिलिट्री फोर्सेस की सबसे बड़ी तादाद इन्हीं दोनों बॉर्डर पर तैनात की गई है।
इन दोनों ही बॉर्डर पर सिक्योरिटी के लिहाज से कई लेयर की सुरक्षा व्यवस्था की गई। इन अभेद किलों को पहले 2 दिन किसान ब्रेक नहीं कर पाए।
किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए पुलिस की तरफ से इस तरह की तैयारियां पिछले एक सप्ताह से ही की जा रही थीं।
शंभू बॉर्डर पर पुख्ता इंतजाम के बाद दिल्ली-जम्मू हाईवे पर 200 किलोमीटर के एरिया में हर 30 से 40 किलोमीटर पर पॉइंट बनाकर ना केवल किलेबंदी, बल्कि सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है।
नवंबर 2020 में किसानों ने 3 कृषि कानूनों के विरोध में इसी तरह दिल्ली मार्च का ऐलान किया था। उस आंदोलन में भी सबसे ज्यादा भागीदारी पंजाब के किसानों की थी।
पंजाब के किसानों को रोकने के लिए हरियाणा पुलिस की तरफ से उस समय भी पुख्ता इंतजाम किए थे, लेकिन पुलिस की भारी बैरिकेडिंग के बावजूद किसान दिल्ली के टीकरी और सिंघु बॉर्डर तक पहुंचने में कामयाब हो गए थे, लेकिन इस बार किसानों के लिए टीकरी और सिंघु बॉर्डर तक पहुंचना ही बहुत मुश्किल है।
पिछली गलतियों में सुधार करते हुए इस बार सरकार ने सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं। अंबाला के शंभू बॉर्डर पर ही इस तरह की तैयारी कर दी गई हैं कि इसे भेदकर बाहर निकलना ही बहुत मुश्किल है।
अगर आंदोलनकारी किसान किसी तरह शंभू बॉर्डर को क्रॉस कर भी गए तो उनके लिए दिल्ली तक पहुंचने से पहले ही उनकी राह में रोड़े ही रोड़े बिछे हुए हैं।