विधायक सुभाष ने कहा कि भगवान श्री राम लला को अयोध्या श्री राम मंदिर में वापिस लाने के लिए किए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों को हमेशा याद रखा जाएगा। इस महापर्व को लेकर मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर कई दिन तक कार्यक्रम चलेंगे और भंडारों का आयोजन किया जाएगा। इस पावन पर्व को सभी नागरिकों ने दीवाली की तरह मनाया और देर रात्रि तक आतिशबाजी और पटाखे चलाए गए।
विधायक सुभाष सुधा ने गत्त देर सायं तक गांव हथीरा, बारना, रोटरी चौक, स्थाणेश्वर महादेव मंदिर, सेक्टर-9 लॉटस ग्रीन सिटी, सेक्टर-3, 13, 17 व 30 सहित दर्जनों जगहों पर आयोजित कार्यक्रमों में शिरकत की। इतना ही नहीं विधायक सुभाष सुधा ने जहां मंदिरों में साफ-सफाई के अभियान को जारी रखा, वहीं नगर परिषद की निवर्तमान अध्यक्षा उमा सुधा ने गत्त देर सायं तक श्रद्धालुओं को भंडारे का प्रसाद भी वितरित किया।
विधायक सुभाष सुधा ने गांव हथीरा के बाला सुंदरी मंदिर में पूजा-अर्चना की और कलश यात्रा को हरी झंडी देकर रवाना किया। इसी तरह रोटरी चौक पर भंडारे का आयोजन किया गया और श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया। इसके अलावा स्थाणेश्वर महादेव मंदिर में भी पूजा-अर्चना की और श्रद्धालुओं के साथ श्री राम लला के वापिस आने का जश्न मनाया। इस कार्यक्रम में भाजपा युवा कार्यकारिणी सदस्य साहिल सुधा, जिला परिषद के वाईस चेयरमैन डीपी चौधरी सहित अन्य कार्यकर्ताओं और श्रद्घालुओं ने भी शिरकत की है।
उन्होंने कहा कि 500 सालों के लंबे अर्से के बाद भगवान श्री राम अयोध्या में फिर से अपने घर में विराजमान हो गए है। यह लम्हे देश के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए है और युगों-युगों तक इन ऐतिहासिक क्षणों को याद रखा जाएगा। इस पावन पर्व पर अयोध्या में भव्य और शानदार समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह के साथ देश-दुनिया के करोड़ों लोग जुड़े रहे।
इतना ही नहीं देश के हर मंदिर, शहर और गांवों में जगह-जगह सुंदर कांड पाठ, श्रीराम कथा, श्रीराम यात्रा और भंडारों का आयोजन किया गया। खास बात यह है कि लोगों ने अयोध्या के ऐतिहासिक कार्यक्रम को देखने के लिए स्वयं बड़ी-बड़ी स्क्रीने भी लगाने का काम किया। इन तमाम कार्यक्रमों से देश-दुनिया का पूरा वातावरण राममय हो गया। उन्होंने कहा कि देर रात्रि तक सभी मंदिरों को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया गया और लोगों ने अपने घरों में दीपावली की तरह दीपक जलाए तथा पटाखे और आतिशबाजी चलाकर पूरा माहौल महा दिवाली उत्सव में बदल दिया।