April 28, 2024

चौ. चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान केंद्र दामला द्वारा गेहूं की फसल में संतुलित उर्वरक प्रयोग विषय पर गांव मुस्तफाबाद में खेत दिवस का आयोजन किया गया।

कृषि विज्ञान केंद्र के मुख्य संयोजक डॉ संदीप रावल ने किसानों को संबोधित करते हुए संदेश दिया कि किसानों को गेहूं के अंदर संतुलित उर्वरक प्रबंधन अपनाना चाहिए।

फसल अवशेषों को भूमि में ही मिलाने के साथ-साथ गोबर की खाद भी खेत में मिलानी चाहिए तथा वैज्ञानिकों द्वारा अनुसंधान कर निर्धारित कि गई उर्वरकों की मात्रा का ही गेहूं के अंदर उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने जैव -उर्वरक, जैविक खाद तथा वेस्ट डी-कंपोजर से कंपोस्ट तैयार करने के बारे में भी संक्षेप में जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि किसानों को व वेस्ट डी-कंपोजर का इस्तेमाल कर फसल के अवशेषों को विघटित कर कंपोस्ट तैयार कर लेना चाहिए जिससे किसान की उर्वरकों पर लागत कीमत में कमी आती है। उत्पादन व फसल की गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है।

डॉ. संदीप रावल ने गेहूं में मडूसी खरपतवार व पीला रतुआ बीमारी के नियंत्रण का प्रभावी प्रबंधन के बारे में भी किसानों को विस्तार से जानकारी दी।

कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा विशेषज्ञ डॉ एनके गोयल ने किसानों को गेहूं में एकीकृत उर्वरक प्रबंधन तथा संतुलित उर्वरक के उपयोग, ढेचे की हरी खाद के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि गेहूं फसल में पोषक तत्वों की संतुलित मात्रा में आवश्यकता होती है। इनमें नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, जिंक व सल्फर प्रमुख है, क्योंकि इन तत्वों की कमी से फसल में उत्पादन में भारी कमी आ जाती है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *