हरियाणा में चुनावी साल को देखते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा फुल फॉर्म में हैं। विरोधियों की घेराबंदी के साथ-साथ वह राज्य के लोगों को साधने के लिए अपने सियासी तरकश का हर तीर इस्तेमाल कर रहे हैं।
इसी क्रम में अपने गढ़ सोनीपत में तीन दिन पहले, कांग्रेस की जन आक्रोश रैली में दिया गया उनका भाषण कई मायनों में खास रहा।
इसी भाषण में हुड्डा ने अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर भी कई संकेत दिए। 7 जनवरी को सोनीपत के बरोदा में हुई इस रैली में पहुंचे लोगों के बीच इमोशनल कार्ड खेलते हुए हुड्डा बोले- ‘मैं अपने जीवन में आखिरी बार इनसे लड़ना चाहता हूं। मेरा साथ दोगे या नहीं।’
यहां हुड्डा का इशारा BJP के साथ इसी साल लोकसभा और विधानसभा चुनाव में होने वाली सियासी भिड़ंत की ओर था। हुड्डा की इस बात पर रैली में पहुंचे लोगों ने हाथ उठाकर उनका साथ देने का भरोसा दिया।
कांग्रेस के अंदर अपनी मुखालफत करने वाले नेताओं को भी हुड्डा ने रैली में यह कहते हुए दोटूक संदेश पहुंचा दिया कि अभी तक ना तो मैं रिटायर्ड हुआ हूं और ना ही टायर्ड। हरियाणा कांग्रेस में SRK गुट के नाम से मशहूर हो चुकी कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी की तिकड़ी हुड्डा की खुलकर मुखालफत कर रही है।
हरियाणा की सियासत पर बारीकी से नजर रखने वाले जानकारों के मुताबिक हुड्डा के इस इमोशनल कार्ड और भाषण के कई सियासी मायने हैं। उन्होंने एक तीर से कई निशाने साधे हैं।
हुड्डा ने बरोदा रैली में पहुंचे लोगों को यह संदेश देने का प्रयास किया कि वह फिर से चौधर उनके इलाके में लाना चाहते हैं।
दरअसल 2005 से 2014 तक हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनवाने में पुराना रोहतक कहलाने वाले सोनीपत-रोहतक-झज्जर जिलों का अहम रोल था।
यही इलाका हुड्डा का गढ़ है और उन 10 सालों में यहां कांग्रेस से ज्यादा हुड्डा की तूती बोलती थी। यहां के लोगों का हुड्डा सरकार में अपना ही जलवा था।
इस इलाके में हुड्डा की पकड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2020 में केंद्र और प्रदेश में BJP की सरकार होने के बावजूद वह बरोदा विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में अपने समर्थक इंदुराज भालू को विधायक बनवाने में कामयाब रहे।
इंदुराज ने जब BJP कैंडिडेट और पूर्व इंटरनेशनल रेसलर योगेश्वर दत्त को 10 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था।