November 22, 2024

हरियाणा प्रदेश के पूर्व मंत्री और चार बार अंबाला जिले के तत्कालीन नग्गल हलके से
में विधायक रह चुके चौधरी निर्मल सिंह, जो  अप्रैल, 2022  में  उनके तत्कालीन हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट ( एच.डी.एफ.) से आम आदमी पार्टी (आप ) में शामिल हुए  थे एवं जिन्होंने  अब गत सप्ताह  28 दिसंबर‌ 2023 को आप से‌ भी  दे दिया है और आगामी शुक्रवार 5  जनवरी 2024  को कांग्रेस पार्टी में शामिल होकर एक प्रकार से कांग्रेस घर वापसी कर रहे हैं,  क्या
उनके और उनकी सुपुत्री चित्रा सरवारा के कांग्रेस पार्टी में शामिल होने पर इन दोनों द्वारा  चार वर्ष पूर्व 10 नवंबर 2019 को बनाए गए  एच.डी.एफ., जिसे हालांकि उसके बनने के  एक वर्ष बाद नवंबर, 2020 में भारतीय चुनाव आयोग द्वारा  गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के तौर पर रजिस्टर किया गया, उसका भी कांग्रेस में विधिवत विलय किया जाएगा, यह देखने लायक होगा.

हालांकि जब 7 अप्रैल, 2022 को निर्मल और चित्रा आप में शामिल हुए थे, तो ऐसी खबरें आई थी‌ कि इसके साथ साथ ही एच.डी.एफ. का भी आप में विलय कर दिया गया है. परन्तु वास्तविकता कुछ और है, शहर निवासी पंजाब एवं‌ हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और कानूनी विश्लेषक  हेमंत कुमार ने बताया कि  गत  वर्ष  16  मई, 2023  को भारतीय चुनाव आयोग द्वारा देश के सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों और देश‌ में कुल‌ 2597 रजिस्टर्ड गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के सम्बन्ध में  नोटिफिकेशन को भारत सरकार के गजट में प्रकाशित किया गया  जिसमें क्रमांक  909 पर हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट (एच.डी.एफ.) का नाम शामिल है एवं जिसका  मुख्यालय 549 , मथुरा नगरी, अम्बाला शहर दर्शाया गया.

हेमंत का कहना कि चुनाव आयोग की नोटिफिकेशन से  स्पष्ट हो  जाता है‌ कि  अप्रैल, 2022 में  जब निर्मल- चित्रा आप में शामिल हुए थे, तो‌ तब एच.डी.एफ. का आप में  विलय नहीं किया गया था. 3  वर्ष  पूर्व  27 दिसम्बर 2020 को अंबाला नगर निगम के दूसरे आम चुनाव में   निर्मल और चित्रा  की पार्टी  एच.डी.एफ‌. से मेयर पद की प्रत्याशी अमीषा चावला को 16 हज़ार 421  वोट प्राप्त हुए थे और वह तीसरे स्थान पर रही थी.

हालांकि उस चुनाव में एच.डी.एफ. के 2 प्रत्याशी  जीतकर होकर अंबाला नगर निगम के सदस्य ( पार्षद) बने थे -वार्ड नंबर 4 से  विजय कुमार (पिछड़ी जाति आरक्षित सीट) और रूबी सौदा (अनुसूचित जाति महिला आरक्षित सीट )से.

बहरहाल, वर्तमान में एचडीएफ से जीते उक्त दोनों नगर निगम सदस्य भाजपा‌ में शामिल‌ हो  चुके हैं.  हेमंत ने बताया चूंकि  देश के संविधान की दसवीं अनुसूची, में जो  दल बदल विरोधी  कानून हैं, वह केवल सांसदों और विधायकों पर ही  लागू होता है  एवं शहरी स्थानीय निकाय (म्युनिसिपल ) संस्थानों जैसे नगर निगमों/परिषदों/ पालिकाओं पर नहीं इसलिए  नगर निगम  सदस्य कभी भी एक दूसरे के दल/पार्टी में बे-रोक-टोक शामिल हो सकते हैं एवं इस प्रकार पाला बदलने से उनकी नगर निगम सदस्यता पर कोई असर नहीं पड़ता.

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