डीसी अनीश यादव ने मंगलवार को लघु सचिवालय स्थित सभागार में चिन्हित अपराधों की जिला स्तरीय मॉनिटरिंग कमेटी की बैठक ली। इस दौरान उन्होंने निर्देश दिए पुलिस आपराधिक मामलों की साइंटिफिक तरीके से जांच करें।
चिन्हित व जघन्य अपराधों में शामिल अपराधियों को हर हाल में सजा मिलनी चाहिए। इसके लिए अभियोजना पक्ष और जांच अधिकारी की ओर से कोई कमी न रहे तथा ऐसे मामलो में गवाहों की सुरक्षा भी सुनिश्चित रहनी चाहिए।
यादव ने बैठक में आपराधिक मामलों का स्टेटस जाना और जिन मुकदमों में अपराधी बरी हुए, उनको एग्जामिन किया। चिह्नित व जघन्य अपराधों में, पुलिस अधीक्षक और जिला न्यायवादी को अधिक से अधिक वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाने के साथ-साथ पीड़ित व चश्मदीद गवाहों की गवाही जल्द से जल्द करवाने के निर्देश दिए।
गंभीर अपराधों के मामले में उन्होंने जिला पुलिस अधीक्षक से कहा कि ऐसे केसों की अच्छे से सुपरवीजन बनी रहनी चाहिए। जिला न्यायवादी को गंभीर अपराधों में अदालती मामलो की मॉनिटरिंग करने को कहा। उन्होंने चिह्नित अपराधों के मामलों पर चर्चा की और उनका स्टेटस जाना।
जिला न्यायवादी डॉ. पंकज सैनी ने उपायुक्त को बताया कि सभी मामलो की उचित ढंग से पैरवी की जाती है। गवाहों को कहा जाता है कि वे निडरता से ब्यान दें, फिर भी कई मामले न्यायालय में जाकर प्रतिरोधी हो जाते हैं। मीटिंग में महिला एवं कमजोर वर्गों के साथ किए गए अत्याचार, पोक्सो एक्ट तथा भ्रष्टाचार से सम्बंधित मामलों की मॉनिटरिंग को लेकर भी चर्चा की गई।
क्या है चिन्हित अपराध
चिन्हित अपराध को लेकर हर जिला में गठित एक कमेटी के माध्यम से सरकार को रिपोर्ट जाती है। ऐसे अपराध जिनसे जनता के दिलो-दिमाग में यह जानने की जिज्ञासा होती है कि इसमें अपराध करने वाले को सजा मिलेगी या नहीं और केस का फैसला होने के बाद उसके कारणों को जानने की भी जिज्ञासा रहती है।
इस बारे सरकार का मानना है कि ऐसे केसों में अपराधियों का सजा जरूर मिलनी चाहिए और बेगुनाह केस से बरी होने चाहिए, लेकिन कई बार ऐसा हो जाता है कि अपराधी केस की अच्छी तरह पैरवी न होने से बच निकलते हैं या बरी हो जाते हैं। ऐसे केसों पर मंथन करने के लिए हर
माह जिला स्तर पर मीटिंग होती है।
बैठक में एसपी शशांक कुमार सावन, जिला न्यायवादी डॉ. पंकज सैनी सहित वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।