April 19, 2025
punjab and haryana high court
आज से  7 वर्ष पूर्व नवंबर, 2016 में अंबाला कैंट को प्रशासनिक सब- डिवीजन ( उपमंडल) का दर्जा प्रदान किया गया था.  इसमें लेशमात्र भी संदेह नहीं  कि  कैंट को अलग सब डिवीजन का दर्जा दिलवाने का संपूर्ण श्रेय कैंट से आज तक कुल 6 बार विधायक निर्वाचित और वर्तमान में प्रदेश के गृह और  स्वास्थ्य   मंत्री अनिल  विज को ही जाता है जिनके अथक प्रयासों से ही ऐसा संभव हो पाया था.
इसी बीच स्थानीय निवासी एवं पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट हेमंत कुमार ने गृहमंत्री विज से  अपील की है कि अम्बाला कैंट उपमंडल  में भी जिले की नारायणगढ सब डिवीज़न की तर्ज पर  शीघ्र अधीनस्थ  ज्यूडिशियल कोर्ट्स (न्यायिक अदालतें ) अर्थात सिविल जज (सीनियर डिवीज़न) कम जुडिशल मजिस्ट्रेट की कोर्ट्स   स्थापित करने हेतु गंभीर प्रयास किये जाने चाहिए. उनका स्पष्ट मत है कि  न्यायिक अदालतों की स्थापना के  बगैर  अम्बाला कैंट सब डिवीज़न आधी अधूरी ही है
गत कुछ वर्षो से अम्बाला कैंट बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों का चुनाव भी हो  रहा है.  आगामी 15 दिसम्बर को ताजा चुनाव होना है.
हालांकि  मात्र एस.डी.एम. (उप मंडल अधिकारी – नागरिक ) जो एक एग्जीक्यूटिव (कार्यकारी) मजिस्ट्रेट ही होता है और तहसीलदार आदि जैसे अन्य एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट /  अधिकारियों  के समक्ष ही पेश होना  वकीलों  का कार्य नहीं होता बल्कि न्यायिक अधिकारियों / जजों के सामने पेश होकर  सिविल और क्रिमिनल मामलों में मुवक्किल की पैरवी करना बार के सदस्यों का मुख्य कार्य है.
 हेमंत ने बताया कि बेशक अंबाला कैंट को 7 वर्ष  पूर्व ही सब -डिवीजन  का दर्जा मिला है परंतु इसके बावजूद अंग्रेजी शासनकाल के समय से  अंबाला कैंट में न्यायिक अदालतें हुआ करती थीं जो मुख्यतः कैंटोनमैंट ( सैन्य) क्षेत्र हेतु स्थापित की गई थीं. हालांकि वर्ष 1990 के मंडल कमीशन(ओबीसी आरक्षण) विरोध आंदोलन के फलस्वरूप अस्थायी तौर पर कैंट की अदालतों को पहले शहर की पुरानी सेशंस कोर्ट में और वर्ष 2003 में मौजूदा न्यायिक परिसर में शिफ्ट कर दिया गया था. बाद में वर्ष 2009 में हाईकोर्ट द्वारा कैंट की अदालतों का शहर की कोर्ट्स में ही  विलय कर दिया गया.
बहरहाल, वर्ष 2016  में अंबाला कैंट को प्रशासनिक सब डिवीजन का दर्जा मिलने से वहां पर एसडीएम की तो नियमित तैनाती होती रही है इसलिए एसडीएम स्तर के सरकारी कार्यों हेतु कैंट वासियों को शहर नहीं आना पड़ता है
हेमंत का कहना है कि अंबाला कैंट में न्यायिक कोर्ट्स न होने के कारण अदालती संबंधित कार्यों के लिए कैंट वासियों को शहर में स्थित न्यायिक परिसर में ही आना पड़ता है.  कुछ समय पूर्व ऐसी खबरें आई थीं कि कैंट की अदालतों को शहर से अलग कर पुनः कैंट में वापिस ले जाया जाएगा और इस संबंध में कैंट में उपयुक्त स्थान के चयन किया जा रहा है परंतु आज तक इस संबंध में कोई आधिकारिक जानकारी सार्वजनिक नहीं हुई है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *