हरियाणा के पर्यावरण मंत्री कंवर पाल ने पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हरियाणा सरकार के प्रयासों पर मुहर लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी का स्वागत किया जिसमें पराली से संबंधित वित्तीय प्रोत्साहन के लिए पंजाब को हरियाणा से सीख लेने की नसीहत दी गई है।
उन्होंने कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट ने पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है कि वास्तव में पराली के मामले में दोषी कौन है। उन्होंने इस कठिन कार्य को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए किसानों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने पराली जलाने की समस्या को गंभीरता से लिया है।
उन्होंने कहा कि प्रदूषण एक ऐसा मुद्दा है जो स्वास्थ्य से संबंधित है और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। इस समस्या के समाधान के लिए हम सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है। लेकिन दुख की बात है कुछ राजनीतिक दल और पड़ोसी राज्यों की सरकारें इस पर राजनीति कर रही हैं। पिछले दिनों प्रदूषण के कारण ऐसे हालात हो गए कि कुछ स्थानों पर स्कूल बंद करने पड़े। इसलिए फिर से ऐसे हालात पैदा ना हो इसके लिए हमें मिलकर काम करना होगा। पर्यावरण मंत्री बुधवार को जगाधरी स्थित अपने कार्यालय पर मीडिया को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हरियाणा में सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए कई कारगर कदम उठाएं हैं, इसके लिए राज्य के किसान भी बधाई के पात्र हैं। इस साल पराली जलाने की घटनाएं बहुत कम हुई हैं, इसमें किसानों की जागरूकता और सहयोग के लिए उनका आभार व्यक्त करता हूँ। हरियाणा के किसानों ने सरकार का सहयोग किया है और पराली प्रबंधन के लिए शुरू की गई योजनाओं को अपनाया है, इसी के परिणाम हैं कि राज्य में पराली जलाने की घटनाओं में सफलता पाई है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर किसानों को जागरूक करने के लिए किए गए प्रयास धरातल पर सफल साबित हुए हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में राज्य सरकार पराली के जीरो-बर्निंग लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूरा प्रयास कर रही है। पराली के उचित प्रबंधन के लिए सरकार किसानों को 1000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दे रही है और पराली प्रबंधन के लिए विभिन्न मशीनें व उपकरण भी मुहैया करवाए जा रहे हैं।
प्रदेश सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के साथ साथ जल संरक्षण की दिशा में भी कदम बढ़ाए हैं। फ़सल विविधिकरण के लक्ष्य के साथ शुरू की गई मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत किसानों ने धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसलों की खेती को अपनाया है। इस बार भी किसानों ने धान की बिजाई करीब 1 लाख एकड़ से कम की है। सरकार ने किसान हित में लगातार नई-नई योजनाएं शुरू की है। किसान और कृषि हमारी नीतियों के केंद्र में हैं।