October 23, 2024

पूर्व अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी व अम्बाला की बेटी चित्रा सरवारा की अगुवाई में आज एक विशाल कैंडल मार्च पुरानी अनाज मंडी अम्बाला छावनी से शुरू हो छावनी के मुख्य बाजारों से होता हुआ फुटबाल चौक स्टेडियम के सामने सम्पन्न हुआ।

इस मार्च में अनेको सामाजिक संस्थाओं, खिलाडियों व पूर्व खेल संस्थाओं के पदाधिकारियों और अम्बाला के आम नागरिको ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इस कैंडल मार्च में उपस्थित सभी साथियों और नागरिकों को संबोधित करते हुए चित्रा ने दिल्ली के जंतर मंतर पर आधी रात को दिल्ली पुलिस द्वारा खिलाड़ियों पर हुए बर्बरतापूर्ण रवैये पर दुख व्यक्त करते हुए इस घटना और पीछे के क्रम की कड़ी निंदा की।

चित्रा ने कहा कि एक तरफ तो भाजपा सरकार ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का नारा दे रही है दूसरी तरफ आधी रात को देश की अंतरराष्ट्रीय महिला खिलाड़ियों पर अपनी पुलिस के माध्यम से बर्बरता पूर्ण लाठियां बरपा रही है व अपशब्दों से अपमानित करवा रही है।

चित्रा ने कहा की इस पूरे प्रकरण ने आज देश के लाखों खिलाडियों और उनके परिवारों का सरकार और खेल प्रणाली में विश्वास हिला दिया है।आज कोई माँ-बाप अपने बच्चे को खेल के मैदान में झोंकने से पहले यह जरूर सोचेगा की क्या उनका बच्चा और उसका भविष्य सुरक्षित होगा? क्या सरकार उनका संरक्षण और समर्थन करेगी या मैडल लाने तक ही साथ खड़ी होगी और बाद में उन्हें सड़कों पर फेंक देगी?

पहलवानों के साथ देर रात जंतर-मंतर पर हुई बदसलूकी की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए चित्रा ने कहा कि आज तक खिलाड़ी व आम लोग पुलिस और सरकार को रक्षक समझती थी परंतु रक्षक ही भक्षक बन जाये तो देश का काम कैसे चलेगा?

चित्रा ने कहा की वह स्वयं अंतर्राष्ट्रीय वॉलीबाल खिलाड़ी रही है और अनेको पटलों पर देश-प्रदेश के लिए खेलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहा की वो समझ सकती है की इस पटल तक पहुँचने के लिए एक खिलाड़ी और उसके परिवार को कितना संघर्ष करना पड़ता है। मां बाप बेटियों को जब खेल के मैदान में कोचिंग पाने के लिए प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए भेजते हैं तो वो सब इस विश्वास पर भेजते है कि कोच और खेल संस्था एक पिता के समान बच्चों का खयाल रखेंगी व उनके बच्चो को सुरक्षित रखेंगी।

चित्रा ने कहा की भाजपा सरकार और प्रधानमंत्री भी इन बच्चों के मैडल पाने पर खुद वाह वाही सांझी करने जरूर आते हैं।लेकिन आज जब देश को जीत की ऊंचाइयों पर ले जाने वाली बेटियां खुद सड़को पर न्याय पाने के लिए धक्के खा रही हैं तो सब सत्ताधारी चुप हैं और इन खिलाडियों पर लांछन लगाने से नहीं चूक रहे ये आज हम सब के लिए शर्म की बात है।
चित्रा ने कहा की न्याय पाने के लिए तीन महीने के बाद फिर से खिलाड़ियों को सड़कों पर उतरना पड़ा इससे दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद बात आज देश के लिए नही हो सकती। जिन बेटियों ने देश को मैडल दिलवाए,गौरव बढ़ाया,देश का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान बढ़ाया वो आज अपना सम्मान पाने के लिए रातो को आंधी,तूफान बारिश में भी सड़को पर सो रही है।

उन्होंने कहा की आज हर व्यक्ति को देश के इन खिलाड़ियो के साथ उनकी लड़ाई में हिस्सेदार बनना पड़ेगा चाहे वह घर बैठकर सोशल मीडिया के माध्यम से ही सहयोग करे पर लड़ाई लड़ने में खिलाड़ियों के साझीदार जरूर बने ताकि हम अपने आने वाली पीढ़ियो को जवाब दे सके की देश की बेटियाँ जब अपना सम्मान पाने के लिए धूप, बारिश,पुलिस के कहर से लड़ रही थी तो वो अकेली नही थी पूरा देश उनके साथ उनकी लड़ाई लड़ रहा था।

चित्रा ने कहा की धरना स्थल से जो तस्वीरें आई हैं वह हर व्यक्ति को विचलित करने वाली हैं। दो खिलाड़ियों को सिर पर चोट लगी है। ये चोटें उस समय लगी जब बरसात के चलते जमीन पर पड़े गद्दे भीग गए और कुछ लोग खिलाड़ियों को फोल्डिंग बेड देने गए।

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