स्वास्थ्य विभाग जिला में एच 3एन 2 इंफ्लूएंजा वायरस के फैलाव व संक्रमण को रोकने लिए पूरी तरह अलर्ट है। जिलावासियों को चाहिए कि वे इस वायरस को लेकर घबराएं नहीं, इससे बचाव के लिए सभी को सावधानी बरतने की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि इन दिनों खांसी, जुकाम और बुखार के लिए जिम्मेदार इंफ्लूएंजा एच 3 एन 2 वायरस को मिनी कोविड कहा जा रहा है। जिस तरह कोरोना एक शख्स से दूसरे में फैलता है और सीधे फेफड़ों पर अटैक करता है। उसी तरह यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर दूसरे व्यक्ति में भी तेजी से फैल रहा है। जब संक्रमित मरीज छींकता या खांसता है, तो इसके ड्रॉपलेट्स एक मीटर के दायरे तक फैल जाते हैं।
आस-पास मौजूद व्यक्ति के सांस लेने पर ड्रॉपलेट उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं या फिर संक्रमित व्यक्ति के खांसने-छींकने पर वायरसयुक्त ड्रॉपलेट्स किसी सतह या किसी चीज पर गिरते हैं। जिसे स्वस्थ व्यक्ति के छूने पर हाथ में ट्रांसफर हो जाते हैं और आंख-नाक-मुंह के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। ऐसे में दूसरा व्यक्ति भी एच 3 एन 2 से संक्रमित हो जाता है।
एक्सपट्र्स के अनुसार कोरोना वायरस की तरह ही इंफ्लूएंजा ए-एच 3 एन 2 वायरस भी मरीज के शरीर में लंबे समय तक बना रहता है। यह लंग्स के टिश्यूज या ब्रोंकाइल लाइनिंग को खराब कर देता है। ब्रोंकाइल के आगे मौजूद पतले एयर सेल्स में इंफ्लेमेशन पैदा कर देता है, जिसे ब्रोंक्यूलाइटिस कहा जाता है।
इस कंडीशन में मरीज को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। डाक्टर के मुताबिक कमजोर इम्यूनिटी वाले मरीज, छोटे बच्चे, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं, इस वायरस की चपेट में जल्दी आ सकते हैं। इनके अलावा टीबी, अस्थमा या लंग्स इंफेक्शन, किडनी, कार्डिएक डिजीज से पीड़ति मरीजों के लिए यह वायरस अधिक खतरनाक हो सकता है।