नगर निगम के प्रत्येक वार्ड में 11-11 लाख रुपये से मरम्मत कार्य कराए जाएंगे। ससौली एरिया में खाली पड़ी गो चरांद की लगभग 14 एकड़ जमीन पर गोशाला बनाई जाएगी। नालों की सफाई का टेंडर अब छह माह के लिए लगेगा। निगम एरिया में अब सीमेंट की जगह लोहे के बैंच लगाए जाएंगे। जोडियो नाके से विश्वकर्मा चौक तक एसके रोड के दोनों ओर नालों का निर्माण होगा। शहर के कमला नगर में पेयजल की समस्या के समाधान के लिए कॉलोनी के पार्क में ट्यूबवेल लगाया जाएगा।
जगाधरी के कुंडी तालाब पार्क का नाम अब जियो गीता पार्क होगा। कुत्तों की नसबंदी के लिए प्रत्येक वार्ड में 20-20 लाख रुपये के टेंडर लगाए जाएंगे। सभी सामुदायिक केंद्रों पर शौचालय बनाए जाएंगे। यह फैसले बुधवार को नगर निगम हाउस की समीक्षा बैठक मेयर मदन चौहान ने सभी पार्षदों की सर्वसम्मति से लिए। ग्रे पेलिकन होटल में मेयर मदन चौहान की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में अब तक हुई हाउस की बैठकों में पास प्रस्तावों पर विस्तार से चर्चा की गई। पार्षदों ने अपने प्रस्तावों पर हुई कार्रवाई के बारे में जानकारी मांगी।
जिनका मेयर मदन चौहान, निगमायुक्त आयुष सिन्हा, सीनियर डिप्टी मेयर प्रवीण शर्मा, अतिरिक्त निगमायुक्त धीरज कुमार, उप निगम आयुक्त अशोक कुमार, चीफ इंजीनियर अशोक राठी, अधीक्षण अभियंता हेमंत कुमार, एक्सईएन विकास धीमान, एटीपी लख्मी सिंह तेवतिया व अन्य अधिकारियों ने जवाब दिया। बैठक में सबसे पहले वार्ड नंबर एक के पार्षद ने अपने प्रस्तावों व विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
इसके बाद सीनियर डिप्टी मेयर प्रवीण शर्मा, डिप्टी मेयर रानी कालड़ा, पार्षद विनय कांबोज, राम आसरे, विनोद मरवाह, भावना बिट्टू, सुरेंद्र शर्मा, संकेत प्रकाश, संजीव कुमार, निर्मल चौहान, प्रिंस शर्मा, तुलसी दास गोस्वामी, अभिषेक व सविता ने अपने वार्ड से संबंधित प्रस्तावों पर चर्चा की। बैठक में पूर्व बैठकों में पास हुए प्रस्तावों पर हुई कार्रवाई के बारे में बताया गया। वहीं, कई अहम फैसले लिए गए।
वर्क अलॉट होने के छह माह बाद भी काम शुरू न करने वाली एजेंसी होंगी ब्लैकलिस्ट –
काम में ढील बरतने वाले ठेकेदारों व एजेंसी संचालकों पर कार्रवाई के लिए समीक्षा बैठक में अहम फैसला लिया गया। बैठक में फैसला लिया कि वर्क अलॉट होने के छह माह बाद भी जो ठेकेदार या एजेंसी काम शुरू नहीं करेगी। उसका टेंडर रद्द कर दूसरा टेंडर लगाया जाएगा। एजेंसी या ठेकेदार को आधार कार्ड से लिंक करके ब्लैक लिस्ट किया जाएगा। वहीं, यदि संबंधित अधिकारी का लापरवाही सामने आई तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। यह फैसला टेंडर अलॉट होने के बाद विकास कार्यों में तेजी लाने के लिए लिया गया।