प्रदेश सरकार द्वारा गांवों में विकास कार्यों करवाने के लिए लागू की गई नई व्यवस्था से पंचायती राज संस्थाओं की शक्तियां बढ़ी हैं और संस्थाएं मजबूत हुई हैं। दो लाख रुपए के विकास कार्य करवाने में टेंडर प्रक्रिया की जरूरत नहीं होंगी। इससे उपर के कार्य ई-टेंडर के माध्यम से करवाए जाएंगे, जिससे विकास कार्य निर्धारित समय पर होगें। विकास कार्य और अधिक पारदर्शिता के साथ हो सकेेंगे और कार्यों में गुणवत्ता आएगी। वहीं दूसरी ओर कार्य करवाने वालों की जवाबदेही भी तय होगी।
विकास एवं पंचायत विभाग द्वारा दी गई जानकारी अनुसार पंचायती राज संस्थाओं द्वारा ग्राम पंचायत, पंचायत समिति तथा जिला परिषद द्वारा विकास कार्यों के लिए जारी की जाने वाली धनराशि नई हिदायतों के अनुसार खर्च होगी। नई कार्य प्रक्रिया से पंचायती राज संस्थाओं की शक्तियां बढ़ी हैं। दो लाख रुपये तक के कार्यों की तकनीकि स्वीकृति कनिष्ठï अभियंता देगा और इन कार्यों के लिए किसी प्रकार का कोई टेंडर नहीं होगा।
नई प्रक्रिया के अनुसार 25 लाख रुपए तक की स्वीकृति उपमंडल अभियंता पचंायती राज देगा और 25 लाख रुपए से एक करोड़ रुपए तक के कार्यों की तकनीकि स्वीकृति विभाग का कार्यकारी अभियंता प्रदान करेगा। एक करोड़ से 2.5 करोड़ रुपए तक के कार्यों की तकनीकि स्वीकृति अधीक्षक अभियंता तथा 2.5 करोड़ रुपये से अधिक के कार्य की तकनीकी स्वीकृति विभाग का चीफ इंजीनियर देगा।
सरकार के निर्देशानुसार सभी नव निर्वाचित सरपंचों, पंचायत समिति सदस्य तथा जिला परिषद सदस्य अब नई हिदायतों के अनुसार अपने-अपने फंडों से विकास कार्य करवाएंगे। संबधिंत कनिष्ठ अभियन्ता (जेई) द्वारा दो लाख रूएए तक के प्राकलनों (एसटिमेट) की तकनीकी स्वीकृति अपने स्तर पर प्रदान कर दी जाएगी व उससे अधिक राशि के प्राकलन विभिन्न सक्षम अधिकारियों को भेजे जाएंगे।
मुबलिग 25 लाख रूपए तक के प्राकलन उपमण्डल अधिकारी, पंचायती राज (एसडीओ) एक करोड़ रूपए तक के प्राकलन कार्यकारी अभियन्ता पचायती राज (एक्सईन) 2.5 करोड़ रूपए तक के प्राकलन अधीक्षक अभियन्ता, पंचायती राज (एसई), व 2.50 करोड रूपए से अधिक लागत के प्राकलन मुख्य अभियन्ता, पंचायती राज (चीफ इंजीनियर) तक तकनीकी स्वीकृति हेतु भेजे जाएंगे। तकनीकी रूप से स्वीकृत प्राकलन प्राप्त होने के बाद संबंधित पंचायती राज संस्था द्वारा बनने का नाम व स्वीकृत राशि का वर्णन करते हुए प्रशासकीय स्वीकृति दी जाएगी।